ye dunia...kaante..jalan..ham
कांटो पे सोया..कांटो पे जागा..
चुभन...ही चुभन हैं..किसको बताना..
लफ़जो मे उसके चलने की सोची..
जलन ही जलन हैं..मत उसको बताना..
जब भी जला हूँ..धुआ ही उठा हैं..
जमाने मे कितनी घुटन हैं..मत उसको बताना
शम्मा बन के जलना सारी उमर हैं..
बात ये तुमको..भी पता हैं..
क्यूँ गैरों को बताना ...
जला हुस्न ..इश्क़ मिट्टी हुआ हैं....
अंधेरा हैं मन मे..ये मत किसी को बताना..
चुभन...ही चुभन हैं..किसको बताना..
लफ़जो मे उसके चलने की सोची..
जलन ही जलन हैं..मत उसको बताना..
जब भी जला हूँ..धुआ ही उठा हैं..
जमाने मे कितनी घुटन हैं..मत उसको बताना
शम्मा बन के जलना सारी उमर हैं..
बात ये तुमको..भी पता हैं..
क्यूँ गैरों को बताना ...
जला हुस्न ..इश्क़ मिट्टी हुआ हैं....
अंधेरा हैं मन मे..ये मत किसी को बताना..
2 Comments:
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,धन्यबाद।
sach kaha
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