देखो चारो ओर बसंत आया..
वो तेरा अपनापन याद आता हैं..
जब तू कहता हैं मुझे अपना..
मुझे अपने पे गरूर हो आता हैं..
जीवन की इस कठिन डगर मे
प्यार करना भी मुश्किल हैं
और
निभाना भी मुश्किल,
जब कोई प्यार निभाता हैं
तभी वो अपनो से प्यार पाता भी हैं..
तूने मेरा नाम मिटा डाला..
खुद को आज़ाद कर डाला
लेकिन....लेकिन....लेकिन...
आज़ा द होकर बताना...
कितने सुकून मे हो तुम?????
मेरी मान ..मत खोल दिल के हिस्से..
आम हो जाएँगे तेरे प्यार के किस्से
तू नही तो तेरी याद हैं.. कसम से क्या बात हैं.... आ जा एक बार तू...... फिर हसीन रात हैं..
तेरे मेघदूत ने कमाल कर डाला...
हर प्यासी डाली को...
रस से भर डाला..
खिला दिए फूल सारे जग के
गुम हुई उदासी दिल की..
देखो चारो ओर बसंत आया..
तुम भी क्या क्या कहते और करते हो...
अपनी अमानत को...
गंगा मे परवान करते हो..
लग जाएगी आग सपनो मे..
जब ये पानी मे जाएँगे
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