Tuesday, July 21, 2015

gam ka rishta

दर्द कही तो
पिघलेगा
कहीं तो लेगा
कुछ सांस
जब मिली
उसे किसी
अपने से ऊष्मा
बह निकला
आँखों से
आंसू बनकर
कभी खून की शक्ल
भी ले सकता है
अंधेरो से
गम का रिश्ता जो
बहुत गहरा है

2 Comments:

At July 24, 2015 at 4:23 AM , Anonymous Anonymous said...

:(

 
At October 9, 2015 at 4:20 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

dard ki daasta..hui kuch lambi....tumse suni na gai..Anonymous

 

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