उदासियों का शहर
उदासियों के शहर में
रहना बहुत मुश्किल है
लेकिन
दिल है कि उसे
वही पसंद है
करती हूँ
कोने कोने की सफाई
फिर भी न जाने
किस झिर्री से
दिल मे घुस जाती है
उदासी
दबोच लेती है
मनोमस्तिष्क को
उन विचारों को,
जिनसे मैं पहले
दिन भर ऊर्जान्वित
रहती थी
खोल देती है
वो सारे द्वार
जहाँ से प्रवेश कर सके
वो सब दुःखद यादें
जिन्हें मैं फिर नही
बुलाना चाहती
यादों को बार बार
अंक में समेटना
अब मेरे वश में नही
दोस्त
उदासी को कहो
कुछ देर
कही और
विश्राम करे...
मुझे भी सुलझाना है
अभी अपना
उलझा हुआ मन
जिसे मैं सबको दिखा
नही सकती!!😢
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