Wednesday, November 30, 2011

तुम

(1)
तुम क्या हो मेरे लिए
ये मैने तब जाना
जब तुमको देखा, तुमको समझा 
तुमको पाया...... साथ ही साथ 
कई बार आजमाया.....
हर बुरे वक़्त मे मैने तुम्हे
अपने साथ पाया तब जाकर मन
तुम पर पूरा भरोसा कर पाया
लगे कभी पिता से
जब तुमने मुझे प्यार से थपथपाया
दी मेरी उपलब्धि पे शाबाशी
खुशी से गले लगाया.....
मेरी भी भर आई आँखे
जब प्यार तुम्हारा पाया

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