....चूंकि अब वक्त का हर लम्हा
टटोला जाएगा...
जो हुई, जो ना हुई...
हर बात खोली जाएगी.....
चलो इससे पहले मिलकर
एक बार बात कर लें....
फिर से मुलाकात कर ले...
हो सकता हैं ये लम्हा फिर न आए...
वक़्त की रेत हाथो से फिसल जाए
लोगो को अपना काम करने दे..
हम अपना काम करे.................
मिल के फिर से गुस्ताख़ी करे
आपस मे बैठ के प्यार की बाते करे
छोड़ दे काम दुनिया का दुनिया पे
चलो फिर से अपनी पहचान करे
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