Sunday, March 11, 2012

शुक्रिया


कितनो का ऋण हैं हम पर
कभी हमने सोचा हैं
जिस ने जो भी दिया हमे
क्या कभी किया शुक्रिया अदा
हर बात मे दोष निकालते हैं
भूल जाते हैं शुक्रिया कहना
रहते हैं हरदम मायूस.......
जैसे कुछ भी ना
मिला हो यहाँ
सीखे प्यार से सबको गले लगाना,
अपना बनाना, जो हैं बाटते जाना
खुश रहना और सबको 
खुशी जताना
यही हैं राज़ जीने का.....
हर पल बस यही मंत्र अपनाना

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