Tuesday, March 13, 2018

दूरियां



ये दूरी हैं
दोनो के दरमिया...
ये शब्दो को
मिलने नही देती..
अटका देती हैं .
फसा देती हैं .
तालू से ज़ुबान..
पता हैं
दोनो के शब्द
एक सुर मे निकले तो
जमाने मे .
कुछ नया हो जाएगा..
मिल जाएँगे
धरती और आकाश..
संध्या का समय हो जाएगा..
संध्या
किसे अच्छी नही लगती..
तुम ही बताओ..
जब मिलते हैं
सूरज के लाल गोले से..
उतर कर झुर्मुट मे....
अकेले अकेले..
कुछ तो नया होता होगा..
हैं ना

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home