Thursday, August 23, 2018

नया सफर

फिर से
जारी करना होगा सफर
नई तारीखे,
नई नजर
एक दिन ऐसा आता है
सब छोड़ना पड़ता है
कभी ख़ुशी के लिए
कभी मजबूर होकर
कभी ख़ुदा के बनकर

तू खुशनसीब है
देख सकती है
नए सपने
मैने तो देखे है
सपने
बिखरे हुए
जिन्हें कोई बटोरने वाला नही
सूना घर,
सूनी दीवारे,
सन्नाटे की सांझ,
रोती हुई रात
जहां कोई नही मनाने वाला

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