Friday, July 29, 2011

जीवन हैं छोटा....


मैने पूछा अपने आप से 
एक दिन
तुम कौन हो?
कहाँ से आई हो?
मन ने उत्तर दिया
भगवान की कृति...
भगवान के पास से आई हूँ
फिर नया प्रशन आया
जब भगवान ने भेजा 
धरती पे किसी उदेश्य से
क्या उस उदेश्य को पूरा किया हैं?
अंदर से आवाज़ आई नही
अभी वक़्त बहुत पड़ा हैं!!
फिर मन ने प्रशण दागा
क्या तुमने कल देखा हैं...
मैने कहा नही...........
कल किसने देखा हैं??
तो फिर अंदर से विवेक बोला 
जब कल किसी ने नही देखा
तो आज के काम को 
कल पे क्यूँ टालते हो?
क्यूँ नही आज ही सारा 
काम उतारते हो?????
मान ने कहा आलस
मुझे छोड़ता नही नही?
भगवान की और मुझे 
मोड्टा नही हैं.........
विवेक ने कहा मन को मोडो
ईश्वर से जोड़ो,
अपना आलसयपन छोड़ो..
वक़्त हैं बहुत कम..
जीवन हैं छोटा....
साँसे हैं गिनती की
क्यूँ व्यर्थ मे गवाते हो..
अपना काम पूरा करते क्यूँ नही
दुनिया मे शान से जीवन बिताते हो..

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