हमारा मन . . नही रहता....हमारे पास
जब मैं
तुम्हारे साथ होती हूँ
खुद को सारी दुनिया से
खाली कर लेती हूँ
नही रखती मन मे
कोई गुबार....
फैला होता बस
चारो तरफ
प्यार ही प्यार..
तुम्हारी प्यारी बातें
मन को गुदगुदाती हैं
जब छेड़ देते हो
मन की तरंगे
मन कही खो
सा जाता हैं
जैसे खुलने के बाद
उन(वूल) का गोला
उलझ जाता हैं
और बड़ी मुश्किल से
हाथ आता हैं
ऐसे ही हमारा मन . .
नही रहता....हमारे पास
तुम्हारे पास
सरक जाता हैं
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