Saturday, July 2, 2011

दौलत, दिमाग़ और दिल


दौलत, दिमाग़ और दिल
जब जाते है मिल
तो सारी दुनिया
जाती है इनके 
समन्वयय से हिल
इंसान हो जाता 
है खुशदिल
दौलत हो
सदबुद्धि हो
सही जगह पर 
खर्च करने की
वृति है..
तभी दौलत की
बनी रहे आवृति है
दिमाग़ लगे 
भगवान मे
कर जाए कुछ
काम ये
बने प्रभु के 
पुजारी हम
मिल जाए 
भगवान से हम
भगवान तो 
कुछ ना माँगे है
वो तो बस 
माँगे है दिल
दे दे हम 
भगवान को दिल
हल हो जाए 
हर मुश्किल
अगर नही ये तीनो है
जीना दुनिया मे 
मुश्किल है...






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