शर्तें
आज से तुम
कुछ नहीं कहोगी
आज से मैं
सिर्फ चुप रहूंगा
----यूं तय हुई शर्तें
मेरे और उसके बीच-
शर्ते रुलाने वाली थी
मगर मज़बूर थे हम
संग तेरे रहना था..
वरना तो बहुत मगरूर थे हम
तेरे साथ मुझे खुशी देता था..
तेरे साथ गुज़रा
हर लम्हा हँसी देता था..
कहने को दूर दूर थे लेकिन
दिल से बहुत करीब थे
चुप रहना भी कभी
खुशी दे जाता हैं
साथ हो कोई अपना
तो वीरना भी गुलशन
बन जाता हैं....
आ दोस्त तेरा चुप रहना भी
मुझे बहुत भाता हैं..
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