भीरू मन
शांत जल मे
फेका गया एक कंकड़
लहरो को तरंगित
करता हैं
ऐसे ही तुम्हारा मन
लहरो को देख कर
तरंगित होता हैं
लहरो का त्रीव वेग
तुम्हारे मन सा ...
नही लगता हैं...
चंचल चित्त हैं..
चिंतन हैं ..मनन हैं
लेकिन ये क्या?
तुम्हारा इनके बीच भीरू
मन हैं..भीरू मन कभी
किसी को आंदोलित नही करते
बल्कि भीरू मन से लोग
नफ़रत करते....
चिंतन की सतह पे
फिर आओ
एक बार फिर सोचो..
मन को समझाओ
क्रांति यू ही नही
आया करती...लानी पड़ती हैं
आवरण हटाना पड़ता हैं
सोच जारी हैं....
लेकिन मित्र..
अब सोचने की
तुम्हारी बारी हैं............
- Sc Mudgal kranti mein udwelan hota hai, vartmaan ke prati asuntushti hi nahin use na badalne per apne ko doshi maanne ki had tak ghrina hoti hai tabhi kranti hoti hai anyatha to samatwa bhaw us ke saath rahne ki hi salah deta hai, prakriti jaise hai use swikaarlo, yehi gyaan hai kaayaron ka, kraantiveer badalna chahte hain present scenario ko chahe uske liye kitni hi keemat chukaani pade,August 12 at 12:00pm ·
- Aparna Khare thanks Mudgal ji............sach hain jab had par ho jati hain tab parivartan ate hainAugust 12 at 12:02pm ·
- Aparna Khare आपकी बात मे दम हैं लेकिन कहीं देर ना हो जाए....आभार माया सरAugust 12 at 12:19pm · · 1 person
- Aparna Khare कबीरा खड़ा बाज़ार मे
लाठी लेकर हाथ........
जो घर फुके अपना
वो चले हमारे साथ....
कोई हैं जो अपना घर फूक सके....August 12 at 12:20pm · · 2 people - Muneer Ahamed Momin aparna ji aapki yah kavita ek svasthy smeekshaa maangtee hai. abhi to meri kaafi vyastataayen hain lekin agle hafte aapke kaavy "BHEEROO MAN" par avashy tooti-footi samikshaa likhane ka prayaas karunga.........August 12 at 1:32pm · · 1 person
- Muneer Ahamed Momin filhal kabeer ne ye bhi kaha hai....
कबिरा खड़ा बाजार में सबकी मांगे खैर |
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर ||
जो तोको काँटा बुवै ताहि बोव तू फूल।
तोहि फूल को फूल है वाको है तिरसुल॥August 12 at 1:33pm · - Kavi Rajbundeli सुन्दर,,,,,,,,,,,,,,,शब्द संयोजन,,,,,,,,,,,बधाई,,,,,
,,,,,,,,,, August 12 at 1:37pm · · 1 person - Meenu Kathuria क्रांति यू ही नही
आया करती...लानी पड़ती हैं............एक जुट होने की जरूरत है ......August 12 at 2:18pm · · 1 person - Naresh Matia एक बार फिर सोचो..
मन को समझाओ
क्रांति यू ही नही
आया करती...लानी पड़ती हैं
आवरण हटाना पड़ता हैं
सोच जारी हैं....bilkul sahi bat hain......kranti lani padti hain.....August 12 at 6:13pm · · 2 people - Parveen Kathuria क्रांति यू ही नही
आया करती...लानी पड़ती हैं...theek kaha aapne...kranti yun hi nahi aaya karti....kranti ke liye kantikari man jaroori hai..August 12 at 8:00pm · · 3 people - Kamal Kumar Nagal wah..kya bat se lahre he jeevan ki dhar....jajba dekh veero ka lahro ne badla roopAugust 12 at 11:10pm · · 1 person
- Rajani Bhardwaj आवरण हटाना पड़ता हैं.................... yhi nhi karna chahta koi......... esiliye asar nhi karti h bate .dastak nhi hoti kanhi chetanta pe.........August 13 at 9:33am · · 1 person
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