Saturday, October 1, 2011

घरौंदा चाहे कितना प्यारा हो




परिंदे जब उड़ान भरते हैं
दुनिया को अच्छे लगते हैं
खुद को अच्छे लगते हैं
लेकिन जब उड़ान थम जाती हैं
जीवन की गतिशीलता रुक जाती हैं
जीवन भी एक जंग की तरह
कुछ जम सा जाता हैं...
कुछ समझ नही आता हैं
इसलिए कुल्हाड़ी मे धार बहुत ज़रूरी हैं
और गर धार कर ली हैं तेज़ बुद्धि की तो
दुनिया के पेड़ काटना भी ज़रूरी हैं...
घरौंदो मे टिक ना जाए
आकाश को अपनी कर्म भूमि बनाए
खूब काम करे और अपने नीड मे लौट आए
क्यूंकी घरौंदा चाहे कितना प्यारा हो
खुले आकाश मे उड़ना अच्छा लगता हैं
बीज़ चाहे कितना गहरा हो
धरती से बाहर निकलना पड़ता हैं



    • Muneer Ahamed Momin बढ़िया अपर्णा जी...........
      October 1 at 2:09pm ·  ·  1 person
    • Gunjan Agrawal kya baat bahaut khubb...आकाश को अपनी कर्म भूमि बनाए nice
      October 1 at 3:39pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare thanks Muneer ji
      October 1 at 3:42pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare Thanks Gunjan Agrawal
      October 1 at 3:42pm ·  ·  1 person
    • किरण आर्य क्यूंकी घरौंदा चाहे कितना प्यारा हो
      खुले आकाश मे उड़ना अच्छा लगता हैं
      बीज़ चाहे कितना गहरा हो
      धरती से बाहर निकलना पड़ता हैं.....waah mitr bahut achche, sunder bhav khoobsurat rachna.............:))
      October 1 at 4:02pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Dear....swagat tumhara
      October 1 at 4:03pm ·  ·  1 person
    • Govind Gopal Vaishnava बहुत ही सुंदर अभिवक्ति ...शब्दों के तार मन को छु गए ..इसके लिए आपको हार्दिक बधाई ...
      October 1 at 4:06pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Govind ji
      October 1 at 4:35pm ·  ·  1 person
    • Maya Mrig यह कविता अपने बीजरुप में प्राणयुक्‍त है-----
      October 1 at 4:51pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Sir
      October 1 at 4:52pm · 
    • Sonroopa Vishal शब्दों का सुंदर चित्र ...
      October 1 at 4:53pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks sona ji
      October 1 at 4:53pm · 
    • Alam Khursheed क्यूंकी घरौंदा चाहे कितना प्यारा हो
      खुले आकाश मे उड़ना अच्छा लगता हैं
      बीज़ चाहे कितना गहरा हो
      धरती से बाहर निकलना पड़ता हैं.......................Waah!
      October 1 at 6:24pm ·  ·  1 person
    • Rajiv Jayaswal A motivational poem.
      Aparna ji, thanx for tagging.
      October 1 at 7:43pm ·  ·  1 person
    • Parveen Kathuria क्यूंकी घरौंदा चाहे कितना प्यारा हो
      खुले आकाश मे उड़ना अच्छा लगता हैं....bahut badhiya...
      October 1 at 8:05pm ·  ·  2 people
    • घरौंदे का महत्त्व .... वाह क्या... विचार हैं.... अद्वितीय
      October 1 at 9:08pm ·  ·  2 people
    • Ashish Khedikar Very Nice...

      घरौंदो मे टिक ना जाए
      आकाश को अपनी कर्म भूमि बनाए

      बीज़ चाहे कितना गहरा हो
      धरती से बाहर निकलना पड़ता हैं
      October 1 at 11:19pm · 
    • Gopal Krishna Shukla सुन्दर अभिव्यक्ति अपर्णा जी... बहुत खूब...
      October 1 at 11:20pm · 
    • Rajani Bhardwaj बीज़ चाहे कितना गहरा हो

      धरती से बाहर निकलना पड़ता हैं...........bhut hi khoobsoorat.....
      October 1 at 11:24pm · 
    • Meenu Kathuria खुले आकाश मे उड़ना अच्छा लगता हैं
      बीज़ चाहे कितना गहरा हो
      धरती से बाहर निकलना पड़ता हैं.........यही तो जीवन की सच्चाई है..........अपर्णा जी..........
      October 2 at 12:16am ·  ·  2 people
    • Amod Khare sundar shabd khubsoorat abhivyakti aur apani bat kahane ka saral tarika bahoot khub sundar ati sundar. damdar abhivyakti.
      October 2 at 1:33am ·  ·  1 person
    • Aparna Khare shukriya Alam Khursheed ji
      October 3 at 11:30am · 
    • Aparna Khare Rajiv ji thanks to apka jo keemati samay nikaal kar hausala badhate hain...
      October 3 at 11:31am · 
    • Aparna Khare thanks Parveen Kathuria ji...gharauna to gharaunda hota hain....lekin bahar to jana hi padta hain...
      October 3 at 11:32am · 
    • Aparna Khare Thanks Dharmengra Gangwar ji
      October 3 at 11:32am · 
    • Aparna Khare Ashish ji, Gopal Bhai, Rajni ji n Amod ji thanks apka
      October 3 at 11:33am · 
    • Aparna Khare THanks Meenu Bhabhi
      October 3 at 11:33am · 
    • Nitesh Kumar बहुत ही सुंदर..
      October 3 at 11:39am ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Niteshh ji
      October 3 at 11:40am · 
    • sundar.
      October 3 at 2:10pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Jay ji
      October 3 at 2:10pm · 


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