फेस बुक
सुबह की चाय यानी फेस बुक
हर पोस्टिंग का पर्याय यानी फेस बुक
फेस बुक उनकी जान हैं
जो उस पे बिताते सुबह ओ शाम हैं
बिना लाइक किए हर पोस्ट पे
उन्हे कहाँ चैन आता हैं?
वो तो हर पोस्ट का हौसला
बढ़ाए जाने के लिए FB के दाता हैं
फेस बुक बिना जीना बेकार हैं इनका
यही तो जीने का आधार हैं इनका
अंजानो से दोस्ती, बेगानो से प्यार
कभी खूब सी लड़ाई, कभी प्यारा तक़रार
फेस बुक हैं तो सब हो पाता हैं
वरना हर इंसान दुनिया से यू ही जाता हैं..
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- Ashish Tandon क्या बात है अपर्णा जी ...सही कहा आपने फेसबुक बिना चैन कहा रे सोना नहीं चांदी नहीं फेसबुक तो मिला अरे दोस्तों की पोस्टों को पड़ के लाइक कर ले ...........Monday at 3:14pm · · 3 people
- Manoj Gupta इसमे कोई दो राय नही की फेस बुक बहुत ही अच्छी ग्यान वर्धक और किसी भी
विषय पर सामग्री उपलब्ध कराने का उत्तम स्थान है और ज्ञान का भण्डार भी है फेसबुक हा लेकिन "अध जल गागरी छल कत जाए " जैसे अधकरचे और विक्रत
मानसिकता वालो के लिए बंदर के हाथो उस्तरा लगने जैसा है|Monday at 3:48pm · · 2 people - Govind Gopal Vaishnava सत्य और सही परिभाषा दी है आपने......यह तो अब सुबह के चाय से भी ज्यादा जरुरी हो गई है ...जब तक एक बार दोस्तों से रूबरू न हो जाये दिन की शुरुआत ही नहीं हो पाती है.....Monday at 3:49pm · · 1 person
- Manoj Gupta Hey Aparna ek pehlu ye bhi (jara gaur farmaye) :
दिन भर चिपक के बैठे वेवजह बिना तुक
तौबा ऐ फेसबुक मेरी तौबा ऐ फेसबुक
दिन भर लिखे दीवार पे गन्दा किया करे
अलसाये पड़े काम न धंधा किया करे
अपनी अमोल आँखों को अंधा किया करे
प्रोफ़ाइलें निहारीं किसी की किसी का लुक
तौबा ऐ फेसबुक मेरी तौबा ऐ फेसबुक
हर ग्रुप किसी विचार का धड़ा खड़ा करे
रगड़ा खड़ा करे कभी झगड़ा खड़ा करे
मुद्दा कोई हल्का कोई तगड़ा खड़ा करे
कुछ हल न मिला ज्ञान की मुर्गी हुई कुडु़क
तौबा ऐ फेसबुक मेरी तौबा ऐ फेसबुक
किस बात को बिछाएं क्या बात तह करें
कितना विचार लाएं कितनी जिरह करें
किस बात को किस बात से कैसे जिबह करें
तब तक मगज निचोड़ा जब तक न गया चुक
तौबा ऐ फेसबुक मेरी तौबा ऐ फेसबुक
स्क्रीन पे नज़रें गड़ाए जागते रहे
छोड़ी पढाई और ज्ञान बाँटते रहे
पुचकारते रहे किसी को डाँटते रहे
जब इम्तहान आया दिल बोल उठा ‘धुक’
तौबा ऐ फेसबुक मेरी तौबा ऐ फेसबुक
लाइक करूँ कि टैग करूँ या शेयर करूँ
चैटिंग से किसी की भला कितनी केयर करूं
जब तक दिमाग की चली मै भागता रहा
अब दिल ये कह रहा है बहुत भाग लिया रुक
तौबा ऐ फेसबुक मेरी तौबा ऐ फेसबुकMonday at 3:54pm · - Aparna Khare तुझे देख देख सोना..तुझे देख देख जागना
मैंने ये जिंदगानी संग तेरे बितानी तुझमे बसी हैं मेरी जान हाय जिया धड़क धड़क जाएMonday at 3:56pm · · 2 people - Alam Khursheed Ha ha ha ha ..........Wah re Aparna ji aap
aur aap ka facebook!Monday at 7:44pm · · 1 person - Parveen Kathuria अंजानो से दोस्ती, बेगानो से प्यार
कभी खूब सी लड़ाई, कभी प्यारा तक़रार
फेस बुक हैं तो सब हो पाता हैं
वरना हर इंसान दुनिया से यू ही जाता हैं....sahi kaha aapne...Aparna ji....Monday at 9:19pm · · 3 people - Chitra Rathore :)))...to lijiye Aparna ji...hum bhee like kar detey hain...:)))Monday at 9:27pm · · 4 people
- Meenu Kathuria फेस बुक बिना जीना बेकार हैं
यही तो जीने का आधार हैं .......16 aane sachMonday at 10:27pm · · 2 people - Bhuwnesh Prabhu Joshi ye bhi likh do...face -book sanso ko gati deta hai.
Fb kya hua.....tamam zindgi or zarurat puri hogi kya?Tuesday at 1:01am · · 1 person - किरण आर्य Aparna Khare.......dost sach kaha tumne fb ki mahima nyaari hai, yahan hame tum jaise pyare dost jo mile hai...........:))Tuesday at 9:49am · · 1 person
- Gopal Krishna Shukla वाह वाह वाह बहुत खूब अपर्णा जी... मस्त लिखा है..
अंजानो से दोस्ती, बेगानो से प्यार
कभी खूब सी लड़ाई, कभी प्यारा तक़रारTuesday at 10:37pm ·
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