Tuesday, September 27, 2011

नारी हूँ मैं नदी नही


नारी हूँ मैं नदी नही
चाहे जैसे मोड़ लो मुझको
मनचाहे रास्ते से जोड़ लो मुझको
मुझमे भी कुछ पलता हैं
अंगारो सा जलता हैं
थोड़ा सा सुलगता हैं
तुम सोचो मैं धारा बन बहु  नही...
नील गगन मे उड़ू नही
क्या ऐसा हो सकता हैं
मुझमे भी कुछ पलता हैं
मुझे पता हैं सांसो की कीमत
मुझे पता जज्बातो की कीमत
क्या नदी जान पाई हैं?
क्या नारी को पहचान पाई हैं
नदी, नदी हैं.. नारी नही हैं
उसके कुछ उसूल हैं..
अविरल बहना, प्रतिपल बहना
कही ना अटकना, आगे बढ़ना
विरोध ना करना,
धैर्य रखना सदगुण उसने रखे हैं
नारी मे भी सब पलता हैं 
जब उसको कोई छलता हैं
चीखती हैं, चिल्लाति हैं
पूरा आक्रोश, विरोध सब 
जतलाती हैं..
अनाचारण को वो अब सह
नही पाती हैं....
नारी श्रद्धा हैं, नारी पूजा हैं
नारी कोमलता हैं, नारी पूर्णता हैं
नारी धैर्या हैं लेकिन जब कब तक
जब तक कोई उसे छुए नही
जज्बातो को छेड़े नही
पीड़ा को घेरे नही..
वरना वो फिर दुर्गा हैं
काली हैं रणचंडी हैं
नही करती परवाह किसी की 
ऐसी वो वेगवती हैं..
अब बतलाओ नारी नारी हैं या
नारी एक नदी हैं?????????????

      • Prateek Shesh बहुत ही सुन्दर कविता पर क्या नारी पुरुष के बिना पूर्ण है ???
        Tuesday at 1:32pm ·  ·  1 person
      • Aparna Khare nahi poorna hain...
        Tuesday at 1:33pm · 
      • Prateek Shesh तो सब कुछ व्यर्थ है
        Tuesday at 1:34pm ·  ·  1 person
      • Niranjana K Thakur bahut sunder ji !
        Tuesday at 2:01pm ·  ·  1 person
      • Aparna Khare thanks Niranjana ji
        Tuesday at 2:01pm · 
      • bahut khoob ji
        Tuesday at 2:02pm ·  ·  1 person
      • Suman Mishra aparna di .....aapne naaree se nadee ki tulnaaa.....really great thougt,,,,bahu sunder
        Tuesday at 2:04pm ·  ·  3 people
      • Aparna Khare thanks Sushil ji
        Tuesday at 2:05pm ·  ·  1 person
      • Aparna Khare thanks suman...ye tumhara pyar hain
        Tuesday at 2:06pm · 
      • Prateek Shesh हर एक स्त्री नदी की तरह पुरुष रूपी समंदर में आकर मिल जाती है
        Tuesday at 2:08pm ·  ·  2 people
      • Prateek Shesh एक पवित्र स्थल से प्रारम्भ होकर समुन्द्र तक आते आते नदी की पूजा होती है एक तरह नारी आजीवन कभी बहन के रूप में कभी बेटी के रूप में तो कभी माँ व् दादी के रूप में पूजनीय होती है

        जिस तरह नदी कुछ नहीं मांगती है सिर्फ देती है उसी तरह नारी भी सब कुछ देते हुवे ही आती है इसी लिए नारी और नदी दोनों पूजनीय है
        Tuesday at 2:11pm ·  ·  3 people
      • Aparna Khare sach kaha tumne prateek..
        Tuesday at 2:12pm ·  ·  1 person
      • Suman Mishra prateek d great...well said...brow
        Tuesday at 2:20pm ·  ·  2 people
      • Manju Gupta bahut sunder likha hai aapne
        Tuesday at 2:29pm ·  ·  2 people
      • Manju Gupta वरना वो फिर दुर्गा हैं

        काली हैं रणचंडी हैं
        Tuesday at 2:30pm ·  ·  2 people
      • Amit Gaur बहुत ही सुन्दर कविता है !...Aparna ji. Thnx.
        Tuesday at 2:30pm ·  ·  1 person
      • Manju Gupta मुझे पता हैं सांसो की कीमत

        मुझे पता जज्बातो की कीमत

        अविरल बहना, प्रतिपल बहना

        कही ना अटकना, आगे बढ़ना
        Tuesday at 2:30pm ·  ·  2 people
      • Manju Gupta best poem i have ever read of u,,,,,,,,keep it up,,,,,,,,,,nadi si behti rehna,,,,,,,,,naari ka naam tumne maan se rakha hai,,,,,,,,very gud
        Tuesday at 2:31pm ·  ·  2 people
      • Aparna Khare thanks Manju ji...apka appreciation mera hausala badhata hain
        Tuesday at 2:40pm · 
      • Aparna Khare thanks Amit ji
        Tuesday at 2:40pm ·  ·  1 person
      • Rajiv Jayaswal Aparna Khare ji, kavita ki bhawna achhi hai lekin beech beech mein kuch lines , shayad comparison karte karte , out of context ho gayi hain, fir bhi bhawna achhi hai.
        Tuesday at 3:02pm ·  ·  2 people
      • Aparna Khare hmm..thanks for suggestion Rajiv ji...
        Tuesday at 3:02pm ·  ·  1 person
      • Aparna Khare shayad nadi ki tarah kahi beh gai hain....
        Tuesday at 3:04pm ·  ·  2 people
      • Rajani Bhardwaj mujhe na jane kyo nari or neer ek sa hi bhaw dete h...........
        Tuesday at 5:08pm ·  ·  1 person
      • Aparna Khare sach kaha mujhe bhi...
        Tuesday at 5:09pm · 
      • Manoj Gupta Bahut acche Aparna (par mujh ko notification kyo nahi mila, abhi lagbah 3 ghante baad dikha wo bhi kisi doosre ki wall pe ???)

        नारी ने सीखा नदी से बहना
        मौसम की हर मार को सहना
        क्योंकि नदी बहने के साथ-साथ
        सिखाती है गतिशील रहना
        देती है संदेश निरंतरता का
        देती है संदेश तत्परता का
        नदी देती है शीतलता हृदय को
        देती है तरलता मन को
        सिखाती है बँधना किनारों से
        सिखाती है जुड़ना धरती से !
        नदी कराती है समन्वय मौसम से
        कराती है मिलन धारा से
        देती है संदेश प्रेम का
        नदी नहीं सिखाती भँवर में फँसना
        वह तो सिखाती है भँवर से उबरना !
        नदी नाम है निरंतरता का
        नदी नाम है एकरूपता का
        नदी ही नाम है समरूपता का
        नदी कल्याणी है मानवता की
        वह तो संवाहक है नवीनता की
        आओ हम भी सीखें नदी से
        कर्मपथ पर गतिशील रहना
        कंटकाकीर्ण मार्ग पर
        निरंतर आगे ही आगे चलना,
        नदी की ही तरह निरंतर बहना,
        और हर मौसम में
        या फिर तूफ़ानी क्षणों में
        दृढ़ता के साथ
        अडिग खड़े रहकर
        ऊँचाइयों के चरम शिखर की
        अंतिम सीढ़ी पर पहुँचना !
        Tuesday at 5:13pm ·  ·  2 people
      • Kamlesh Kumar Shukla Bahut Achche Aparna ji ...kisi prathisthit kavi ne apni vyakhya aaj ki naari ke baare me kuchh yoo hai .."nari ka saundary hai tab tak hi bardaan !jab tak vo chahe nahi baajaroo sammaan!..byooti paarlar se yahan lee tumane taaleem! tulsi dal ko chhod kar khaai svayam afeem!..ye bhdkeele vastr ye kate adhkate baal!tumne khud apane liye bune hazaron jaal!bhavi pati me dhoodhti tum filmi andaaz!sach se aakhir kisliye rahti ho naaraz!
        Tuesday at 5:14pm ·  ·  2 people
      • Maya Mrig नदी नदी है----नारी नारी है----नदी भी नारी है पर नारी नदी है कि नहीं----संशय है
        Tuesday at 6:44pm ·  ·  2 people
      • Suman Mishra नदी माँ के ह्रदय की तरह तरंगों से प्रवाहित, सबको जीवन देने मैं तत्पर, माँ की तरह निश्छल , निर्मल, लेकिन शक्ति स्रोत भी क्या लिखूं शब्द विस्तार के लिए स्थान चाहिए,,
        Tuesday at 7:11pm ·  ·  2 people
      • Rahim Khan good one madam.....................but aaj ki naari nadi ki tarah hai jo apan rashta khud banaa lete hain...........
        Tuesday at 9:35pm ·  ·  1 person
      • Parveen Kathuria khoobsurr rachna...khoobsurat pic ke saath......
        तन चंचला
        मन निर्मला
        व्यवहार कुशला
        भाषा कोमला
        सदैव समर्पिता |

        नदिया सा चलना
        सागर से मिलना
        खुद को भुलाकर भी
        अपना अस्तित्व सभलना
        रौशन अस्मिता |

        सृष्टि की जननी
        प्रेम रूप धारिणी
        शक्ति सहारिणी
        सबल कार्यकारिणी
        अन्नपूर्णा अर्पिता. |

        मूरत ममता
        प्रचंड क्षमता
        प्रमाणित विधायक
        सौजन्य विनायक
        अखंड सहनशीलता |

        आज का युग तेरा है परिणीता
        नारी तुझ पर संसार गर्विता |...agyaat
        Tuesday at 10:16pm ·  ·  2 people
      • Gopal Krishna Shukla वाह अपर्णा जी... गजब की रचना है ये... सच मे नारी का स्वरूप तब तक ही शान्त है जब तक उसके साथ किसी प्रकार का अनाचरण नही होता.. पर मै एक बात और कहूंगा की नदी भी ऐसी है.. वह भी अनाचरण को बर्दाश्त नही कर पाती... फ़िर भी बहुत सुन्दर कविता है..

        नारी श्रद्धा हैं, नारी पूजा हैं
        नारी कोमलता हैं, नारी पूर्णता हैं
        नारी धैर्या हैं लेकिन जब कब तक
        जब तक कोई उसे छुए नही
        जज्बातो को छेड़े नही
        पीड़ा को घेरे नही..
        वरना वो फिर दुर्गा हैं
        काली हैं रणचंडी हैं
        नही करती परवाह किसी की
        ऐसी वो वेगवती हैं........................ सच्चाई को प्रकट करती पंक्तियां
        Tuesday at 10:54pm ·  ·  2 people
      • Ashish Khedikar Wah Aparna ji.. very Nice...Awesome and touching poem..


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