पहला कदम उठाना होगा
डूब रहा मन नदी किनारे
प्रिय बैठा उसपार है !
सुख का सागर पास मेरे
फिर भी प्यास अपार है !
प्रिय पाऊं मैं तुमको कैसे
बीच वैतरणी की धार है !
डूब रहा मन नदी किनारे
प्रिय बैठा उसपार है......
ले लो नौका जीवन की
हो जाओ भव पार हैं
प्रिय भी तुम्हारा वही मिलेगा
करता वो इंतेज़ार हैं....
गति तुम्हारी प्रिय के संग हैं
वही तुम्हारे हरदम संग हैं
पहला कदम उठाना होगा
प्रिय तक जाने को सखी
तुम्हे अब शर्म लाज़ तज
आगे आना होगा....
प्रिय बैठा उसपार है !
सुख का सागर पास मेरे
फिर भी प्यास अपार है !
प्रिय पाऊं मैं तुमको कैसे
बीच वैतरणी की धार है !
डूब रहा मन नदी किनारे
प्रिय बैठा उसपार है......
ले लो नौका जीवन की
हो जाओ भव पार हैं
प्रिय भी तुम्हारा वही मिलेगा
करता वो इंतेज़ार हैं....
गति तुम्हारी प्रिय के संग हैं
वही तुम्हारे हरदम संग हैं
पहला कदम उठाना होगा
प्रिय तक जाने को सखी
तुम्हे अब शर्म लाज़ तज
आगे आना होगा....
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