विचार हो तो क्यूँ बदल जाते हो...
तुम गर विचार हो तो क्यूँ बदल जाते हो...
क्या खुद को "बदल कर" चैन पाते हो?
रात की गहराई तो तुम्हे हौसला देती हैं
"और गहरा" सोचने पे मज़बूर कर देती हैं..
तो क्यूँ घबराते हो....
लौट लौट जाते हो..
बंद मुट्ठी को और कसो...
मन को नये विचारो से "और" भरो
मैं कहती हूँ...अपने विचारो को दृढ़ करो
आगे बढ़ो..हिला दो खुद को, देश को, दुनिया को...
तुम मे क्या नही?????????????
तुम उत्तम विचार हो....
अपना, देश का, दुनिया का, सबकी
तरक्की का आधार हो..........
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