खामोशी थी भीतर मेरे,
आलम सारा बोले है --------
अब दो तो गूंगे एहसासों को बोली --
दिल बेचारा क्या बोले है????
दिल की सुनता कौन यहाँ पर,
दिल तो बस दीवाना हैं...
करता रहता हैं मोहब्बत,
राज़ ज़ुबा ही खोले हैं
ना खुले राज़ तो दिल बेचारा....
कहता हरदम रो ले हैं
दिल की सुनता कौन यहाँ पे,
ये धड़के हौले हौले हैं...
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home