वो दीवार मेरी ना रही
घर की पुरानी दीवार
अब नही रही अपनी
जहाँ मैं सबसे छिपकर
तुम्हारा नाम लिखा करती थी
अकेले मे जाकर तुमसे
बाते किया करती थी
नही देख पता था जिसे कोई
अब उस पर किसी ने
अपना नाम लिख दिया हैं
नही रही अब वो तुम्हारी संपत्ति
किसी ने उसे ज़बरदस्ती
कब्जिया लिया हैं.................
लेकिन किसी के कब्जा करने से
कोई किसी का नही हो पाता
ये तो तुम्हे भी पता हैं ना.......
वो दीवार मेरी ना रही तो क्या....
तुम तो मेरे हो........आज भी ...अब भी
11 Comments:
कल 20/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
दिल की दीवारों पर जो लिख दिया नाम ...वो आज तक अमिट हैं ...
बहुत खूब अपर्णा जी , दिल पर लिखी इबादत कभी नहीं मिट सकती , क्योकि यहा ही तो खुदा रहता है ।
वाह!!!!!!!!!!!
बहुत बहुत बढ़िया...
apni baat kah kar prashn karne ka ye andaz badhiya hai.
thanks Anju ji....naam bhi amit.....deewar bhi amit....
dhanyawaad Sada ji
thanks Anamika ji..
shukriya Vidhya ji
thanks ratan ji
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in/2012_01_01_archive.html
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