Tuesday, January 17, 2012

वो दीवार मेरी ना रही


घर की पुरानी दीवार
अब नही रही अपनी
जहाँ मैं सबसे छिपकर
तुम्हारा नाम लिखा करती थी
अकेले मे जाकर तुमसे
बाते किया करती थी
नही देख पता था जिसे कोई
अब उस पर किसी ने
अपना नाम लिख दिया हैं
नही रही अब वो तुम्हारी संपत्ति
किसी ने उसे ज़बरदस्ती
कब्जिया लिया हैं.................
लेकिन किसी के कब्जा करने से
कोई किसी का नही हो पाता
ये तो तुम्हे भी पता हैं ना.......
वो दीवार मेरी ना रही तो क्या....
तुम तो मेरे हो........आज भी ...अब भी

11 Comments:

At January 19, 2012 at 3:03 AM , Blogger Yashwant R. B. Mathur said...

कल 20/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

 
At January 19, 2012 at 5:29 AM , Blogger Anju (Anu) Chaudhary said...

दिल की दीवारों पर जो लिख दिया नाम ...वो आज तक अमिट हैं ...

 
At January 19, 2012 at 6:42 PM , Blogger Yog Sakhi Praveena joshi said...

बहुत खूब अपर्णा जी , दिल पर लिखी इबादत कभी नहीं मिट सकती , क्योकि यहा ही तो खुदा रहता है ।

 
At January 20, 2012 at 4:43 AM , Blogger vidya said...

वाह!!!!!!!!!!!
बहुत बहुत बढ़िया...

 
At January 20, 2012 at 7:07 AM , Blogger अनामिका की सदायें ...... said...

apni baat kah kar prashn karne ka ye andaz badhiya hai.

 
At January 20, 2012 at 8:56 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Anju ji....naam bhi amit.....deewar bhi amit....

 
At January 20, 2012 at 8:56 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

dhanyawaad Sada ji

 
At January 20, 2012 at 8:57 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Anamika ji..

 
At January 20, 2012 at 8:57 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Vidhya ji

 
At January 20, 2012 at 8:57 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks ratan ji

 
At February 3, 2012 at 12:07 PM , Blogger aparna said...

http://nayi-purani-halchal.blogspot.in/2012_01_01_archive.html

 

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