Friday, March 23, 2012

कोई अपना तो हुआ...


खवाब को जैसे
ताबीर मिल गई
एक अनदेखी, प्यारी सी
तस्वीर मिल गई
सोच रहा था
जो बरसो से...........
ऐसी खूबसूरत
चीज़ मिल गई
कैसे ना इतरता,
क्यूँ नही अपने आप पे
मुस्कुराता....इठलाता ..
बरसो का सपना
जो पूरा हुआ
खवाब मे ही सही...
कोई अपना तो हुआ...

2 Comments:

At March 24, 2012 at 11:33 PM , Blogger girish said...

सुंदर कविता. जीवन के कुछ अनकहे पहलुओं को उजागर करता हुआ...बीते वक्त के धुल भरक पन्नो की धुल झटक कर पन्ने पलटता हुआ सा....

 
At March 27, 2012 at 9:30 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

Shukriya Girish ji...

 

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