अनछुआ हैं आज भी सब..
अनछुआ हैं आज भी सब..
कुछ नही अब तक छुआ
जैसे तुम मुझे छोड़ गये थे..
अब तक वैसे ही रहा...
पूछ लो तुम दीवारो से..
खिड़कियो से..नॅज़ारो से..
नही झपकाई मैने पलक भी..
आँखो को भी रहने दिया खुला...
सोचा आओगे तुम....ना मिला मैं तुम्हे अपनी जगह
हो जाओगे परेशान, गर मैं यहा से हिला..
यादे वादें अब भी वैसे ....सब कुछ यहाँ वैसा ही पड़ा.. .
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