रूहानी सुहानी

जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..

Tuesday, November 6, 2012

माँ


क्यूँ किया तुमने ऐसा
कब तक रहती माँ तुम्हारे पास 
वो तो तुमको खुश देख कर 
यु ही लौट जाती अपने गाव 
 कहाँ रास आता  उसे 
तुम्हारे शहर का वातावरण
तुम लोगो का देर से उठाना
देर से सोना बाज़ार का खाना 
रात को जोर जोर से म्यूजिक बजाना। 
वो तो तुम्हारी ख़ुशी में ही 
अपनी ख़ुशी समझती थी।।
और तुम्हारी बेवकूफ पत्नी 

उसे उम्र भर का बोझ समझती थी।।


posted by अपर्णा खरे @ 11:21 PM   0 Comments

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