आज तो कह देते प्यार से रुक जाओ..मुझे शिकायत हैं तुमसे आज भी जाते समय तुम्हारा लहज़ा हैं आदेशाना
बंद खिड़कियो से यही आवाज़ आती हैं..
मैं हूँ तेरी ये क्यूँ भूल जाती हैं..
आ जाओ सब दोस्तो..मैया बुलाती हैं...
जमाते हैं महफ़िल आज फिर....ये बताती हैं..
हुस्न की उदास शाम क्यूँ उदास हैं
कभी ये भी पूछिए...क्या दिया हैं खो उसने...जान लीजिए
पत्थर तो जख्म दिया करते हैं..
मोहब्बत मे दिल लूटा करते हैं..
वास्ता दिल का हो या मोहब्बत का..
रोया तो इंसान ही करते हैं
प्रेम की अनुभूति सबके बस की बात नही..
ये वो आग हैं जिसमे..आच नही..
हमारी हर बात ग़ज़ल की तरह..
तुम सुनते रहो..हम सुनाते रहे..पुरानी नज़्म की तरह
सोच के झूठ सच्चा दिल घबराता हैं..
दिल तो तरह तरह के ख़याल लाता हैं..
गर जा रहे हो अपनी मर्ज़ी से...
पीछे दरवाजा बंद करके जाना..
आज तो कह देते प्यार से रुक जाओ..मुझे शिकायत हैं तुमसे
आज भी जाते समय तुम्हारा लहज़ा हैं आदेशाना
बंद शब्दो मे दे दी हैं इज़ाज़त तुमको..को
जो भी करना हैं मेरे यार करो..
याद करना तुम्हे अब तो फ़ितरत हैं मेरी..
बन गये हो..अब हर पल तुम ज़रूरत मेरी
सुना था पुरानी शराब मे नशा होता हैं..
लेकिन आप का अनुभव तो कुछ और कहता हैं..
अगर भाव अपने ना हो..तो मज़ा नही देते..
आप ऐसा लिखते हैं तो हमे अच्छे नही लगते
आ जाओ तुम तो दास्तान कहे..
क्या किया तुम्हारे बिना..वो सब बात कहे..
आप हो दुनिया से अनोखे..
आप हंसते हो..जब सब हैं रोते..
बंद दरवाज़ा जब खुल सकता हैं
तो वो लौट कर क्यूँ नही आ सकता हैं..
प्यार हैं ही ऐसा
सब भुला देता हैं...
नफ़रत..हो या..दुनिया
सब भूल जाती हैं
हम आएँगे खुद चल कर..
दरवाज़ा खुला रखना..
मैया मेरी उमीदो मे तुम
हमको ना जुदा करना..
1 Comments:
This comment has been removed by the author.
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home