एक धोखेबाज़ इंसान की फ़ितरत
एक बार की गई भूल स्वीकार हैं..
दो बार की गई भूल आदत मे शुमार हैं..
जो करे बार बार भूल..उसे छोड़ देना ही अच्छा..
क्यूंकी उसकी ये आदत आपके लिए बेकार हैं..
एक धोखेबाज़ इंसान की फ़ितरत
कभी नही जा सकती हैं
क्यूंकी वो ऐसे ही हैं..जैसे
चाहे जितना दूध पिलाओ
साँप तो कटेगा ही....
जिसका काम हैं जहर देना...
वो तो जहर बाटेंगा ही..
अब तुम लाओ कोई जड़ी बूटी...
काट दो उसका जहर...
या छोड़ दो उसे जंगल मे..
घूमने को इधर उधर..
4 Comments:
itni nafrat ...??
shukriya ..................o ''jindgee ''
ek dhokhebaaj insani fitrat..... kabhi nahi jati ....
har baar palatti hai muh khole ..sarp sa .......
dansh deti hai tumhe ..vishaile shabdon ka .....
haan ..... o.. ree.. o... jindgee ...
bhool gayee tum ...jinda to vo bhi hai .....tumharee trah
sochta hai ..dekhta hai ...or shayad ...samajhta bhi hoga ....
haaan samajhta hoga ''tumhe.........tumhari hi soch ke vipreet kahin ......
kabhi socha tumne ..??????
ye poem pak ke sandarbh me likhi gai hain
shukriya .....
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