दो दिनो की लगातार बारिश ने
सारा शहर धो डाला हैं
लग रहा हैं सब कुछ
साफ साफ...ये क्या कर डाला हैं
धुल गये सारे निशान..जो कहीं हमने
मिलकर बनाए थे....
नही बचा कुछ भी....
अब हम क्या वो सब निशान
पहचान पाएँगे...
दरो दीवार, सड़क की तरह...
सोचती हूँ क्या कभी हमारा मन भी
धुल सकता हैं.....
आए कभी कोई ऐसी बारिश...
क्या सब कुछ तेज़ बारिश मे
बह सकता हैं...??????????????
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