सुलझा लो गाँठ को एक बार हमेशा के लिए..
तुमने होश खो दिया
सच मे प्यार कर लिया
अब खुदा हो मलिक हैं..
तुमने रोग ले लिया..
पिया की याद मे.. बादल गरजे सारी सारी रात...
मुझको तो आई ना नींद..वो भी जागे सारी रात...
पिया के बिना चैन कहाँ..
पिया के बिना रैन कहाँ..
नैना तरसे सारी रात
बरसे अंखिया सारी रात..
तेरे मकान तक
आने की खातिर
मुझे गुज़रना था
रिश्तो की क़ब्रगाह से..
ये कोई आसान ना था..
आना भी था ज़रूर..
पाना भी था ज़रूर
लेकिन
खुद को खोकर
रिश्तों को खोकर..
सुलझा लो गाँठ को एक बार हमेशा के लिए..
फिर कोई ना तोड़ पाएगा उस से तुम्हारा रिश्ता..
अश्को को हथियार बना..
हिम्मत कर उठ जा..
फिर से नया जहाँ बसा..
आपके ललाट पे लिखा लेख
ये बताता हैं..
कोई छिपा हैं आपके भीतर
जो वक़्त मिलते ही
बाहर आ जाता हैं..
जो आपसे अपने बारे मे..
कुछ ना कुछ कहलवाता हैं..
लोग समझते हैं
आप कहते हो सब कुछ..
वो तो कोई और ही विधाता हैं..
"मुझमे" से "मैं" गुम किया..
तभी तो " वो " निकल आया..
अब लगे दुनिया हसीन..
"मैं " "मेरे" का भी
भेद आज मिट पाया..
2 Comments:
बहुत सुन्दर भाव | सादर |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
shukriya tushar ji
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