तुम्हे चाँद बोल कर
खुश ही हुई थी मैं..
तुम चाँदनी के संग
चल दिए....
नशा ए फ़ेसबुक
हम सब पे तारी हैं
उतरता नही जहाँ से
मार्क बाबू ने की
ऐसी होशियारी हैं..
पुराने पत्ते जाए तो
नये आए..
लेकिन
हम इस पागल दिल को
कैसे समझाए
जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..
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