Wednesday, February 27, 2013

प्यार मे भी उधार कमाल करते हो यार...



आप हो उम्दा जमाने मे आपसा दूसरा नही..
ढूँढ लो, कर लो तसल्ली,  एक भी आपके जैसा 
दुनिया मे बना ही नही..

प्यार मे भी उधार
कमाल करते हो यार...

मौत फिर सस्ती हुई अबकी आम बजट मे
जिंदगी के दाम आसमान छूने को हैं..
कैसे चलाए खर्चा आम आदमी..............
आटा, दाल, चावल सब बहुत मह्न्गे हुए..

जबसे हम जुदा हुए तुमने कोई डायरी नही लिखी 
सिर्फ़ पन्नो को काला कर डाला...रोज़ का हिसाब कर डाला 
मुझे डर हैं...
कही हमारे मिलने बिछड़ने का हिसाब तो नही लिख डाला...
पढ़ लेगा बड़ी आसानी से तुम्हारा घरवाला...


दिल टूटा तुम्हारा
उस से पूछो जो मज़बूर थी
रख दिया पिता ने 
इज़्ज़त का वास्ता...
बेचारी क्या करती?

आज भी तुम्हारी कसमे खाती हैं वो..
अपने से ज़्यादा चाहती हैं तुम्हे वो..
तुम समझते हो तुम्हे भूल गई...
तुम्हारा नाम आते ही आज भी 
शरम से लाल हो जाती हैं वो..


2 Comments:

At March 11, 2013 at 9:46 PM , Blogger Madan Mohan Saxena said...


बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति.
http://madan-saxena.blogspot.in/
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http://mmsaxena69.blogspot.in/

 
At March 12, 2013 at 12:54 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

Shukriya madan ji

 

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