क्या था कबीर मे...
क्या था कबीर मे...
जो सारा संसार
उस के साथ हो लिया..
क्या था बुद्ध मे.......
जो सबको हिला गया
क्या था विवेकानंद मे..
जो शिकागो तक चल कर गया...
सबका एक ही जवाब हैं...
इनमे था अपने प्रति आत्मविश्वास
आस्था का साथ....
अहंकार का विलीन होना..
आत्मा का आत्मा से मिलन होना..
खुद का जानना, खुदी को मिटाना..
तभी तो साथ चल पड़ा जमाना..
..
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