माना ग़ालिब बेहोश हुआ जाता हैं.. जमाना तो जाग रहा हैं मेरी जान..
माना ग़ालिब बेहोश हुआ जाता हैं..
जमाना तो जाग रहा हैं मेरी जान..
कुछ लोगो के अरमान हमेशा जागे रहते हैं..
ना यकीन हो तो unse पूछ लो..
तुमने जो कह दिया उसने सुना ही नही...
ये क्या बात हुई...उसे कुछ पता ही नही..
तुम्हे छोड़ जाना था मुश्किल..
ये उसने कैसे किया..
छोटा सा दिल था उसका
टुकड़ो मे कैसे बाँट दिया????
मत चाहो इतना की आँसू मोती बन जाए..
निकल कर आँखो से किसी के सीने मे बस जाए..
ये क्या किया तुमने मोहब्बत को सरेआम किया
अब रहो तैयार भुगतने को नतीज़ा..जमाने का..
लोगो के समझने से क्या होता हैं..
मुस्कुराने से क्या कोई अपना होता हैं..
मत दो कोई एक्सप्लनेशन
हमने कब माँगा तुमसे हर बात मे रिलॅक्सेशन..
वो तो प्यार का मसला था..तो पूछ लिया..
तुम चालू रखो अपना कॉन्वर्सेशन
नही मैने कोई गुस्सा नही उतारा..
प्यार का मामला हैं..कोई खेल नही हैं..
बेचारे को हंस लेने दो
जिंदगी कोई जेल नही हैं..
जुलाहा कहाँ से आ गया..
दिन गये बुनकर के
अब तो मशीनो का युग आ गया..
अजब पहेलियाँ हैं हाथ की लकीरों मैं
ए दोस्त
सफ़र लिखा है मगर हमसफर नही लिखा ..!
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