Saturday, August 24, 2013

सपना फिर से टूटा हैं..


सपना फिर से टूटा हैं.. 
कोई हमसे रूठा हैं.. 
जो था कल तक साथ हमारे 
आज चाँद पे पहुचा हैं.. 
दिया हमेशा साथ हमारा.. 
पग पग हमे संभाला था.. 
आज हुआ वो दूर हैं हमसे.. 
शायद वो दिलवाला था.. 
मत रूठो....लौट आओ तुम 
नही तुम्हे हम सताएँगे.... 
मानेंगे हर कहना तुम्हारा.. 
अब ना तुम्हे रुलाएँगे..

4 Comments:

At August 24, 2013 at 4:30 AM , Blogger Durga prasad mathur said...

सुन्दर रचना के लिए बधाई !

 
At August 24, 2013 at 7:13 AM , Blogger Darshan jangra said...

सुन्दर रचना ,

 
At August 26, 2013 at 12:49 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Mathur Sir..

 
At August 26, 2013 at 12:49 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Darshan ji..

 

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