सच..... दर्द की इंतेहा ..चाँद को भी जर्द कर सकती हैं..
चाँद उदास हैं..
और बहुत शर्मसार भी..
उसको भी आ गई हैं शरम
दुनिया के लोगो की हरकतों से
हो गया हैं उसका चेहरा भी लाल
गुस्से ए
जब से उसे पता चला हैं..
आज के समाज मे...
स्त्रिया महफूज नही हैं..
नही चल सकती वो..अकेले
उसकी रोशनी के नीचे..
क्यूंकी....
करते हैं काली करतूते..
चाँद की ही रोशनी के आगे
झुक गया हैं उसका भी सर शर्म से
इसलिए वो उदास हैं..
सूख गया हैं सारा ..खून
उसके जिस्म का..
इसलिए उसके अंदर भी
मटमैलापन हैं..दर्द से पीला हो गया हैं वो..
सच दर्द की इंतेहा ..चाँद को भी जर्द कर सकती हैं..
1 Comments:
आपकी यह पोस्ट आज के (२६ अगस्त, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - आया आया फटफटिया बुलेटिन आया पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
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