Thursday, November 7, 2013

मान जाओ

अब नहीं सहा जाता 
जुदाई का गम
चले आओ, 

मत खेलो 
मेरे जज्बातो से,
एक बार तो 

मेरे सामने आकर 
मुस्कुराओ
देती हैं सदा 

मेरी आँखे तुम्हे
अब 

और न तड़पाओ
मेरी जान 

अब तो मान जाओ
आ  भी जाओ न .....

4 Comments:

At November 8, 2013 at 7:25 AM , Blogger nayee dunia said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 09/11/2013 को एक गृहिणी जब कलम उठाती है ...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 042 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

 
At November 8, 2013 at 10:37 PM , Blogger मुकेश कुमार सिन्हा said...

एक बार मुस्कुरा दो, सुंदर !!

 
At November 16, 2013 at 12:10 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

shukriya Upasna di

 
At November 16, 2013 at 12:11 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

Bahut bahut abhaaar Mukesh ji....apko rachna pasand ayi

 

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