मान जाओ
अब नहीं सहा जाता
जुदाई का गम
चले आओ,
मत खेलो
मेरे जज्बातो से,
एक बार तो
मेरे सामने आकर
मुस्कुराओ
देती हैं सदा
मेरी आँखे तुम्हे
अब
और न तड़पाओ
मेरी जान
अब तो मान जाओ
आ भी जाओ न .....
जुदाई का गम
चले आओ,
मत खेलो
मेरे जज्बातो से,
एक बार तो
मेरे सामने आकर
मुस्कुराओ
देती हैं सदा
मेरी आँखे तुम्हे
अब
और न तड़पाओ
मेरी जान
अब तो मान जाओ
आ भी जाओ न .....
4 Comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 09/11/2013 को एक गृहिणी जब कलम उठाती है ...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 042 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
एक बार मुस्कुरा दो, सुंदर !!
shukriya Upasna di
Bahut bahut abhaaar Mukesh ji....apko rachna pasand ayi
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