बहुत अलग हो तुम
एक बात बताओ...
कैसे लिख लेते हो
इतने अच्छे खत..
कभी प्यार मे भीगे..
कभी धूप से चटख..
कभी आँसू से गीले...
कभी रंगीन गुब्बारो की मानिंद
हर खत मे छिपा होता हैं
एक नया सवाल..
जो मैं किसी से नही पूछती
फिर भी तुम समझ जाते हो
दे देते हो प्यारा सा उत्तर
जिसकी मुझे तलाश रहती हैं...
कब पढ़ा तुमने मुझे
मैं तो कभी
तुम्हारे पास भी नही आई
ना ही मैने कभी अपनी
भारी भारी आँखो से
तुमको नज़र भर देखा...
शायद तुमने भी
कोई कोर्स किया होगा......
मन को पढ़ने का...
या अपने बुज़ुर्गो से
सीखी होगी ये पुश्तैनी विधा..
कुछ भी हो... अब तुम
पारंगत हो चुके हो
महारत हासिल कर ली हैं
इस विद्या मे
अब तुम्हे कोई नही हरा सकता
ना ही कोई दुखी होकर
तुम्हारे पास से गुजर सकता हैं
तुम जान लड़ा दोगे..
उसे हसाने मे
अपना बनाने मे
भले ही तुम्हे नाको चने चबाने पड़े..
सच ..तुम और तुम्हारी
ये कलाकारी
दुनिया से तुम्हे बहुत अलग करती हैं
नही रह जाते तुम और
अहमी पुरुषो की तरह
जो जूते की नोक पर रखते हैं
स्त्री के ज़ज्बात
मज़ाल हैं..
वो चू भी कर जाए
उनके सामने..
भले ही दिल
तार तार हो चुका हो..
सच ..बहुत अलग हो तुम
1 Comments:
Nice Mam
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