सुनो कान्हा...तुम ही तुम
सच एक एहसास हो तुम
जीवन का विश्वास हो तुम..
तुमसे मिलता हर दम संबल..बढ़ते रहते सबका मनोबल..
सच कहु मेरे जीवन की...
टूटी हुई एक आस हो तुम..
तुम बिन जैसे निःस्वास हुई मैं..
तडपू ऐसे मछली जल बिन..
मेरी हर एक स्वास हो अब तुम...
कैसे कहूँ क्या क्या हो तुम...
भाई बंधु सखा पिता...सब नाते ...तुमसे जा मिलते..
तुम ना हो तो सारे रिश्ते .......हवा मे घुलते दिखते..
तुमसे पल पल...तुम बिन.......... अधूरापन..
सुनो कान्हा...तुम ही तुम ...तुम ही तुम...
जीवन का विश्वास हो तुम..
तुमसे मिलता हर दम संबल..बढ़ते रहते सबका मनोबल..
सच कहु मेरे जीवन की...
टूटी हुई एक आस हो तुम..
तुम बिन जैसे निःस्वास हुई मैं..
तडपू ऐसे मछली जल बिन..
मेरी हर एक स्वास हो अब तुम...
कैसे कहूँ क्या क्या हो तुम...
भाई बंधु सखा पिता...सब नाते ...तुमसे जा मिलते..
तुम ना हो तो सारे रिश्ते .......हवा मे घुलते दिखते..
तुमसे पल पल...तुम बिन.......... अधूरापन..
सुनो कान्हा...तुम ही तुम ...तुम ही तुम...
8 Comments:
Very beautiful picture.Very nice expression in eyes...and in your words ofcourse
:).........nice
sach aise hi hain kanha....sundar shabd
shukriya rajendra ji....charcha manch me rachna ko samman dene ke liye
Thanks Parmeshwari ji....for your lovely appreciation
dhanyawaad......
Thankss.....
वाकई कान्हामय है पूरा जग।
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home