एक डायरी ......उन पलों की दस्तक...
थाम कर हाथों मे हाथ..जिन्हे आँखो ने क़ैद किया
ये डायरी नही ..खजाना हैं बीते पलों का..जो गुज़रे थे साथ साथ...
लफ़जो ने ज़ुबान दी...चल कर बेधड़क आ गये हमारे पास....
सच यादें ना होती तो ....ये जीवन भी ना होता
अगर होता भी तो कितना सूना सा...जैसे सुर बिना संगीत............
जैसे साजन बिना मीत..सब कितना अधूरा अधूरा सा होता
नही होते जिंदगी मे रंग..जो बिखेरते छटा..चहु ओर
हाय मैं भी क्या लेकर बैठ गई..बिना रंगो की बेजान सी दुनिया
जब मुझे नही पसंद ..तो आपको क्या पसंद आएगी..हैं ना..चलो रंगों की बात करे
एक बार फिर से वही गुजरा हुआ पल याद करे....
यादों की उड़ान दे...शब्दों को छलाँग दे
फिर से वही पहुच जाए...जहाँ से छोड़ आए थे सपने...अपने अपने..
2 Comments:
बहुत बढ़िया .....
:)
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