मौत
ए मौत तुम आना
उस अल्हड लड़की की तरह
जो बेबात हंसती है
मदमस्त रहती है
नहीं होती उसे
दुनिया की फिकर
हर वक़्त खयालो में अपने
गुम रहती है
न करती है आने वाले
कल की चिंता
न ही
पिछले कल की ओर देखती है
खुश रहती है
अपने आप में
नहीं किसी से डरती है
रोते है लोग
ऐसी लड़की के
खो जाने पे
लेकिन वो
अल्हड लड़की
बेफिकर रहती है
मौत तू देना
कुछ यु दरवाजे पे दस्तक
जैसे
वो लड़की
कल कल झरने सी
बहती है
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