Monday, October 3, 2016

tum ho phir bhi tanha hoon


तुम बैठे हो
फिर भी 
खुद को तनहा 
महसूस कर रही हूँ
तस्वीर के रंग से
खुद को अलहदा 
महसूस कर रही हूँ।

तस्वीर से भला
कभी किसी का 
दिल बहला है???
आज तुमको सामने
चुपचाप बैठा 
देख कर खामोश हूँ
खुद को खुद से 
लड़ता देख रही हूँ

मत मुस्कुराओ 
यूँ 
मुझे बेइंतेहा 
तनहा
देख कर
हर ख़ुशी में तुम्हारी
चुपके से अपने आंसू 
पोंछ रही हूँ।

कोरों से जो 
बह कर निकले
उन आंसू से 
अपना ही पता
पूछ रही हूं
तुम बैठे हो 
फिर भी खुद को
तनहा देख रही हूँ....

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