Wednesday, September 21, 2016

तुम्हारे होने का सबूत


कहाँ हो तुम
दो अपने 
होने का सबूत
कहीं तो 
नज़र आओ

लगाओ 
वही से सदा
जहाँ मौजूद हो
या दो 
फिर से आवाज़
एक बार तो 
मेरी खातिर
लौट आओ

दरो दीवार
खामोश है
मौसम भी है 
रुका रुका सा
टकटकी बांधे 
इंतज़ार में
खड़ी हूँ मैं

आओ तो जरा 
चैन लू
पलके झपकाउ

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