Monday, February 6, 2017

आ रही हूँ मैं

देखो खुश हो न
मेरा भी प्रोग्राम बन रहा है
तुम तक आने का
तुम नहीं आ सकते तो क्या
मैं ही आ जाती हूँ
मिलने से मतलब
तुम आओ या मैं
सब कुछ वैसा का वैसा 
ही चल रहा है 
जैसा तुम छोड़ के गए थे
मैं ही कुछ
 या यु कहो बहुत
 ज्यादा
लड़खड़ा गई हों तुम्हारे बगैर
तुम्हारे वादें, यादें सब बहुत रुलाती हैं
तुम होते तो आज
 कहानी ही कुछ और होती
लेकिन अब तो
 सब उल्टा पुल्टा है
तुम्हे मेरी आदत पता ही है
तुम्हारे सिवा किसी से भी
 खुलती ही कहाँ थी?
अब भी वही हाल है
हां आंख के आंसू
 रुकते ही नहीं
अब तो सीने में भी
 दर्द की शिकायत है
चलो कोई जल्दी नहीं
अब आकर ही विस्तार से बातें करेंगे
बाय बाय 
बाय बाय
See u soon

1 Comments:

At February 9, 2017 at 11:31 PM , Anonymous Anonymous said...

:)

 

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