मर मर जीते रहे
अजीब सी जिंदगी
जीते रहे
चाहा जो पाना
उसे ईश्वर ने
न माना
मनमानी करती रही
किस्मत अपनी चाले
चलती रही
मैं वक़्त का प्यादा बन
बस घर बदलता रहा
अजीब सी जिंदगी
जीता रहा
मरता रहा
जीता रहा
कठपुतली हूँ शायद
जो वक़्त के जोर से
चलता हूँ
सोचता कुछ हूँ
कुछ और ही करता हूँ
हर वक़्त सवाल ढेरो ढेर
अपने से करता रहा
वक़्त हर बार
मुझे छलता रहा
अजीब सी जिंदगी
जीता रहा
मरता रहा
अजीब सी जिंदगी
जीते रहे
चाहा जो पाना
उसे ईश्वर ने
न माना
मनमानी करती रही
किस्मत अपनी चाले
चलती रही
मैं वक़्त का प्यादा बन
बस घर बदलता रहा
अजीब सी जिंदगी
जीता रहा
मरता रहा
जीता रहा
कठपुतली हूँ शायद
जो वक़्त के जोर से
चलता हूँ
सोचता कुछ हूँ
कुछ और ही करता हूँ
हर वक़्त सवाल ढेरो ढेर
अपने से करता रहा
वक़्त हर बार
मुझे छलता रहा
अजीब सी जिंदगी
जीता रहा
मरता रहा
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