तुम बिन
तुम बिन
क्या आषाढ़
क्या सावन
तुम बिन
रीता मेरा
मन
तुम बिन
भीगी
मेरी आँखें
तुम बिन
हर पल रोया
मेरा मन
तुम संग
जाने कितनी
यादें
तुम संग
जैसे हर पल
हो जीवन
जीवन का
हर घूँट
अब कडुवा
तुम बिन
जीवन मे
नीरसतापन
तुम बिन
कट रहा है
यू जीवन
जैसे मिली हो
सज़ा हर दिन
हर पल
सारी खुशियां
आधी अधूरी
तुम संग था
पूर्ण समर्पण
3 Comments:
अपनों की दूरी पल-पल अखरती है
बहुत सुन्दर
सुन्दर
बहुत बढ़िया
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