Tuesday, March 27, 2018


चाँद का दर्द
चाँद से भी पुराना है
कभी शहर
कभी गाँव
कभी परदेस
न जाने किसने
कहाँ कहाँ उसे
भेज डाला है
वो भटकता है
दर बदर
यहां तक तो ठीक है
लेकिन
किसी ने ईद
किसी ने करवाचौथ में
बुलाकर
उसे हिन्दू मुसलमान तक
बना डाला है
कहे तो वो किस से
अपनी बात
किसी ने लैला
किसी ने मजनू
किसी ने मामा बनाकर
उसे बड़े पशोपेश में
डाला है!!!!

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