लड़की होना माने बचना समाज से
हर पल अपनी परछाई से ही डरती
बाहर से खुद को बेखौफ
दिखाने की कोशिश में
अपने आप से ही लड़ती लड़की
न जाने का बच्ची से बड़ी हो जाती
कहने को तो वो उम्र में 25, 45, 50 की हो गई
लेकिन अंतर्मन आज भी उसका हर पल आने वाली मुसीबतों से सशंकित रहता है
बच्ची थी तो स्कूल जाने से डरती रही
जवान हुई तो लोगो ने जवानी का डर दिखा दिया
नौकरी में तो सारा दिन लोगों की आंखों से x ray
खुद को बचाती हुई न जाने कैसे करती रही नौकरी
खुद से ही खुद को हलकान करती हुई स्त्री
न जाने कब आज़ाद होगी
कब फ़ूडकेगी आप के आंगन में
बेखौफ
शायद वो दिन उसकी जिंदगी में कभी न आये
बाहर से खुद को बेखौफ
दिखाने की कोशिश में
अपने आप से ही लड़ती लड़की
न जाने का बच्ची से बड़ी हो जाती
कहने को तो वो उम्र में 25, 45, 50 की हो गई
लेकिन अंतर्मन आज भी उसका हर पल आने वाली मुसीबतों से सशंकित रहता है
बच्ची थी तो स्कूल जाने से डरती रही
जवान हुई तो लोगो ने जवानी का डर दिखा दिया
नौकरी में तो सारा दिन लोगों की आंखों से x ray
खुद को बचाती हुई न जाने कैसे करती रही नौकरी
खुद से ही खुद को हलकान करती हुई स्त्री
न जाने कब आज़ाद होगी
कब फ़ूडकेगी आप के आंगन में
बेखौफ
शायद वो दिन उसकी जिंदगी में कभी न आये
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