Tuesday, May 8, 2012

 "समेट लिया बिखरे पत्तो को
अपने अंक मे
ये क्या कम हैं
आप तो बिखरे ही थे
जमाने के लिए"
"सब ले गया ले जाने वाला
क्या बचा आँचल मे.........
खुद ही बिखर गये जमाने मे
क्या बचा फसाने मे"
"वक़्त वक़्त की बात हैं
कल जो आपके साथ थे
आज किसी और के पास हैं"
 "कोई व्यंग नही ना कोई दिलासा
शांत की हैं केवल आपकी जिग्यासा"
"सवाल पूछती हैं जिंदगी हमसे
क्या समय के साथ हम भी बदल जाए
सामने आए जब कोई परिस्थिति तो हिल जाए
या थम ले कोई नया सिरा
और आगे बढ़ जाए"
 "समय का परिवर्तन तो ठीक हैं
इंसानो का परिवर्तन क्या जायज़ हैं
जीने को तो जी ही लेंगे
क्या ये सच्चा जीना हैं"
 "सही कहा दिशा भी हमारी दशा भी हमारी
बदलना हैं खुद को, अब हमारी हैं पारी"
 

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