Tuesday, October 30, 2012

इश्क़ मे नाकामी..दुनिया की आदत हैं...




मेरा दिल इतना पत्थर नही..जो ना पिघले तुम्हारे गमो से..
कभी दिल खोल कर अपना हाल सुनाया भी करो...

इश्क़ मे नाकामी..दुनिया की आदत हैं...
तुम मत डरना..आगे बढ़ना ..सामने मंज़िल हैं..

मोहब्बत मे सब कुछ जायज़ हैं..
दुनियाल गोल हैं..

दुनिया के सारे सबक बेमानी हैं..
जब हुआ इश्क़ तो क्या याद रखना..

तुझसे क्या छिपा हैं दोस्त
तुझसे क्या राजदारी हैं..

चेहरे पे सवाल...जवाब कहाँ हैं...
मिल जाए अगर जवाब मलाल कहाँ हैं.. 

घट था रीता..मैं भी रीति...
तुमने क्यूँ की ऐसी प्रीति...

दुनिया के ज़ुल्म तो सह लेती..
तुमने जो दाग दिए उनका क्या करती..

टाइड भी आ जाए तो दाग जा नही सकते...
ये वो जख्म हैं जिन्हे हम उम्र भर मिटा नही सकते..

हो गई तुमसे मोहब्बत अब क्या करना हैं
तेरे ही संग जीना हैं..तेरे ही संग मरना हैं..
क्यूँ याद करे दुनिया के सितम..
कौन सा हमे दुनिया की हवा संग बहना हैं..

3 Comments:

At October 30, 2012 at 6:31 AM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 
At October 31, 2012 at 3:50 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

umda..dost

 
At November 1, 2012 at 2:41 AM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 

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