Wednesday, April 10, 2013

कर दो एलान अपने प्यार का..


दिल जला हैं तुम्हारा औरो का क्यूँ जलाते हो...
अपनी श्राप औरो पे क्यूँ लगाते हो..

नाम लेकर उसका वफ़ा से क्यूँ जाए 
हुए हैं जब उसके, जमाने को क्यूँ बताए..

बहुत एहसान किया उसने जो मुझे छोड़ गया
हम ग़रीब ज़रूर हैं लेकिन भिखारी नही हैं..

उठा कर बंदूक क्यूँ करते हो शर्मिंदा हमको..
हमे तो तुम्हारे इल्म पे ही इतना यकीन हैं..

मैने खुद को कर लिया हैं अलग...ऐसी बातों से
अब और कुछ नही लेना देना मुझे तेरी वफ़ा की बातों से..

प्यार करते हो ताई से डरते हो..
ये काम हैं तुम्हारे ताउ का....तुम क्यूँ करते हो..

बेचारा जन्मो के बाद आराम पाया हैं 
कुछ देर तो सुस्ता लेने दो उसे....
तुम्हारे हिस्से मे एक यही तो सबाब आया हैं

अब तक यही होता आया हैं..
तभी तो उसने भी तुमसे यही फरमाया हैं..
कर दो एलान अपने प्यार का..


2 Comments:

At April 10, 2013 at 12:13 AM , Blogger Madan Mohan Saxena said...

बहु खूब . सुन्दर . भाब पूर्ण कबिता . बधाई .

 
At April 11, 2013 at 2:50 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

bahut bahut abhaar Madan ji

 

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