Saturday, January 4, 2014

मुझे अच्छा लगा...


 

सुबह की सुहानी धूप सी तुम...
कब खिड़की पे चमक आई...गुमान भी ना हुआ..
हा ...तुम्हारा गरमा गरम एहसास...
मुझे बहुत अच्छा लगा...
सिक उठा पूरा तन बदन...
तुम्हारा साथ मुझे अच्छा लगा....
यू ही बिन बताए तुम्हारा...अपनेपन से चले आना....
छा जाना... घटा की तरह मुझ पर........
सोए ज़ज्बात..को जगाना........
मुझे अच्छा लगा...

1 Comments:

At January 7, 2014 at 6:41 AM , Anonymous Anonymous said...

yun hi bin bataye tumhara ..apnepan sa chale aana ........nice line

 

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